Wednesday, December 21, 2016

Shayri





*मै लहरों को पकड़ता हूँ,*
*तो किनारा छूट जाता है।* 
*जो किनारों पर ठहरता हूँ,*
*तो दरिया रूठ जाता है।*
*एक हसरतें है कि दम भरने नही देती,*, 
*एक ज़रूरतें है जो ये दम निकलने नही देती !*
*"सारी उम्र गुज़री यूँ ही ,रिश्तों की तुरपाई में..।*
*मन के रिश्ते पक्के निकले, बाक़ी उधड़े कच्ची सिलाई में".l*
*मुस्कारने के मकसद न ढूँढ*,
*वर्ना जिन्दगी यूँ ही कट जाएगी!*
*कभी वेवजह भी मुस्कुरा के देख* 
*तेरे साथ साथ जिन्दगी भी*
*मुस्कुरायेगी*…………
      *Have a nice day*

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